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यदि आपसे पूछा जाए कि इंटरनेट क्या है तो आप झट से बोल पड़ेंगे कि एक ऐसी दुनिया जहां एक क्लिक पर सभी तरह की जानकारी मिल जाए। या फिर शायद आप कहेंगे कि इंटरनेट मतलब गूगल। वैसे आपको बता दें कि इस गूगल वाले इंटनरेट की दुनिया में आप कुछ भी करते हैं तो उस पर सरकार से लेकर एक अदने से हैकर्स की भी नजर होती है लेकिन इसके अलावा भी इंटरनेट की एक दुनिया है जहां सभी गैरकानूनी काम होते हैं और उसकी किसी को भी भनक तक नहीं लगती। जी हां, हम बात कर रहे हैं डार्क वेब की। डार्क वेब को कई लोग इंटरनेट की काली दुनिया भी कहते हैं। इस डार्क वेब की दुनिया में ड्रग्स, खतरनाक हथियारों का कारोबार होता है। साथ ही ऐसी भी कई चीजों की खरीद बिक्री होती है जिन्हें बेचना या खरीदना जुर्म है। इस बाजार में खरीदारी सिर्फ वर्चुअल करेंसी जैसे- बिटकॉइन के जरिए होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो इंटरनेट के इस काले बाजार में दुनिया के सभी गैरकानूनी काम खुलेआम किए जाते हैं। तो आइए इंटरनेट की इस काली दुनिया के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इंटरनेट का एक स्वरूप हम देखते हैं जिसमें गूगल, याहू, फेसबुक, ट्विटर और अन्य अनगिनत वेबसाइटें होती है जिसे हर कोई खोल सकता है, लेकिन इंटरनेट में एक दुनिया और बसी है, जिसे ‘डीप वेब’ कहते हैं.
जय हिन्द , वन्दे मातरम
यदि आपसे पूछा जाए कि इंटरनेट क्या है तो आप झट से बोल पड़ेंगे कि एक ऐसी दुनिया जहां एक क्लिक पर सभी तरह की जानकारी मिल जाए। या फिर शायद आप कहेंगे कि इंटरनेट मतलब गूगल। वैसे आपको बता दें कि इस गूगल वाले इंटनरेट की दुनिया में आप कुछ भी करते हैं तो उस पर सरकार से लेकर एक अदने से हैकर्स की भी नजर होती है लेकिन इसके अलावा भी इंटरनेट की एक दुनिया है जहां सभी गैरकानूनी काम होते हैं और उसकी किसी को भी भनक तक नहीं लगती। जी हां, हम बात कर रहे हैं डार्क वेब की। डार्क वेब को कई लोग इंटरनेट की काली दुनिया भी कहते हैं। इस डार्क वेब की दुनिया में ड्रग्स, खतरनाक हथियारों का कारोबार होता है। साथ ही ऐसी भी कई चीजों की खरीद बिक्री होती है जिन्हें बेचना या खरीदना जुर्म है। इस बाजार में खरीदारी सिर्फ वर्चुअल करेंसी जैसे- बिटकॉइन के जरिए होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो इंटरनेट के इस काले बाजार में दुनिया के सभी गैरकानूनी काम खुलेआम किए जाते हैं। तो आइए इंटरनेट की इस काली दुनिया के बारे में विस्तार से जानते हैं।
इंटरनेट का एक स्वरूप हम देखते हैं जिसमें गूगल, याहू, फेसबुक, ट्विटर और अन्य अनगिनत वेबसाइटें होती है जिसे हर कोई खोल सकता है, लेकिन इंटरनेट में एक दुनिया और बसी है, जिसे ‘डीप वेब’ कहते हैं.
डीप वेब यानी इंटरनेट की इस काली दुनिया में कई ग़ैरकानूनी बाज़ार सजते हैं. कई ऐसी मादक, ख़तरनाक चीज़ें ख़रीदी-बेची जाती हैं, जिन्हें बेचना या ख़रीदना जुर्म माना जाता है.
पैसे की बजाय वर्चुअल मनी, बिटकॉइन से पेमेंट होता है.
ऐसी ही एक ऑनलाइन बाज़ार ‘सिल्क रोड’ को पिछले साल अमरीका की एफ़बीआई ने बंद करवाया था.
इन वेबसाइटों से खरीदारी करने पर पहचान छुपी रह जाती है, इसलिए आपराधिक गतिविधियों में इनका इस्तेमाल ज़्यादा होता रहा है.
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एंटीवायरस बनाने वाली कंपनी मैकअफ़े की सार्क देशों की इकाई के प्रबंध निदेशक जगदीश महापात्रा ने बीबीसी को बताया कि डीप या डार्क वेब हमें सार्वजनिक तौर पर दिखने वाले इंटरनेट से तीन गुना बड़ा हो सकता है.
उन्होंने कहा, “टॉर के ज़रिए डार्क वेब तक लोग पहुंचते हैं. इसे रक्षा सेवाओं के लिए प्रयोग किया जाता था, लेकिन जैसा ज़्यादातर तक़नीकों के साथ होता है, इसे वो लोग भी इस्तेमाल करने लगे जिन्हें यहां नहीं होना चाहिए था. साइबर अपराधी तमाम ग़ैरकानूनी गतिविधियों के लिए इसका इस्तेमाल करने लगे.”
सरकारी या ग़ैरसरकारी जासूसी, ड्रग्स बेचने से लेकर पॉर्न का कारोबार और मानव तस्करी तक, सब कुछ इंटरनेट की इस काली दुनिया में खुलेआम होता है.
काफ़ी समय तक इंटरनेट पर एफ़बीआई और डीप वेब संचालकों के बीच चोर-पुलिस के खेल के बाद बीते साल बंद किए गए ‘सिल्क रोड’ ने इस दुनिया की जो तस्वीर पेश की, वो कई विशेषज्ञों की सोच से ज़्यादा खतरनाक थी.
जय हिन्द , वन्दे मातरम

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